Saturday, November 30, 2013

Waqt ki Chal

चल रहा है वक़्त अपनी चाल ,
नए को पुराना और पुराने को भूलना
ही है इसकी फितरत ,
येही तो है इसकी चाल  …


धुंदला जाएँगी यादें ,
भुला दी जाएँगी बातें ,
रेह जायेगा तोह यह बदलता हुआ वक़्त और एक वो इन्सान ,
जिसके साथ होने से रुक जाता था वक़्त और थम जाती  थी उसकी चाल  …

वो उसका मुस्कुराना ,
मेरे बिन कहे सब बातें समझ जाना  …
वक़्त बेवकत पर मेरा सहारा बन जाना   …


पर आज ना जाने क्यों एक डर  सताता  है
आज ना जाने क्यों वो इन्सान मुझे कही नज़र न आता है  …
मेरे कितने भी बोलने पर अब उसे कुछ समझ नहीं आता है  …
समझ आता है तो मुझे कि वो वक़्त कुछ और था, यह वक़्त कुछ और है   ...
न वो वक़्त मेरा था न ही वो इंसान कभी मेरा था  …
था तो बस मेरा एक भ्रम ,
मेरा विश्वास और उसके लिए मेरा घमंड   ...



पर फिर एक सोच अपने अंदर पाता हुँ  …
चल रहा है वक़्त अपनी चाल ,
नए को पुराना और पुराने को भूलना
ही है इसकी फितरत ,
येही तो है इसकी चाल  …
है वो मेरा घमंड , है यह  रिश्ता मेरा विश्वास
अब तो आ जाये कोई भी वक़्त , बदल दूंगा मैं उसकी चाल   …


पर धीरे धीरे टूट रहा हुँ …
न जाने क्यों पीछे छूट रहा हुँ  …
तेरे साथ के बिना मैं अब न आगे बढ़ पाउँगा ,
अपने हाथ में तेरा हाथ देखना चाहूंगा   …


खुले जो आँख उसे सामने पाऊ  …
और जो न वो दिखी तो अपनी आँखे  बंद कर फिर सो जाऊ  …

पर छूटा जो कभी उसका साथ  …
छूटा जो कभी उसका हाथ तोह कभी फिर आँखे मैं न खोल पाऊ   …
फिर कभी मैं हस्स न पाऊँ



चल रहा है वक़्त अपनी चाल ,
नए को पुराना और पुराने को भूलना
ही है इसकी फितरत ,
येही तो है इसकी चाल  …



Sid... Luv u ...
Fovever

Sunday, August 4, 2013

Hum khush hote rahe ...

वो बेठे बेठे अपने बालो को सवारती रही ,
हम बेठे बेठे उनको निहारते रहे … 

वो ना जाने कुछ बोलती रही , 
हम बेठे उनको देखते रहे... 
 वो बोलती और हम बातों की बीच की ख़ामोशी का मज़ा लेते रहे,
वो हस्ती रही  हम खुश होते रहे … 

वो बेठे बेठे अपने बालो को सवारती रही ,

हम बेठे बेठे उनको निहारते रहे … 


बाहों में वो हमारी थी,
पर थे हम उनके निगाहों  के कैद में थे   …
खुशी  हमको जितनी थी देखी  उनके आखों में थी  … 

वो बेठे बेठे अपने बालो को सवारती रही ,
हम बेठे बेठे उनको निहारते रहे … 


मन की बातें  हम फिर पढने लगे ,
धुन्द  जो छाई  थी वो चट्टने लगी  …
गलत हम साबित  होते रहे पर फिर भी हम ही खुश होते रहे।वो बेठे बेठे अपने बालो को सवारती रही ,
हम बेठे बेठे उनको निहारते रहे … 

पीते  रहे  हम शराब ,
पर नशा तुम्हारा हम पर चड़ने लगा  … 
जाम   छलकता रहा और हम खुश होते रहे।  

तुम्हारी  आखों में खुद  को देखते   रहे ,
और हम खुश होते रहे  …
वो बेठे बेठे अपने बालो को सवारती रही ,
हम बेठे बेठे उनको निहारते रहे … 

Saturday, May 11, 2013


आपसे ही शुरू करी थी पहले बातें
बिना मेरे बोले समझी आपने  हर बातें  ...
मेरे लिए आपने  सहे कितने दर्द 
मेरे लिए जागी आप  कितनी सोयी  रातें  ...

उन रातों की  बातों  की है अब यादें  ... सबसे मीठी यादें  ...

 तूने  सहे हर गम लेकर चेहरे  पर अपने  मुस्कराहट ...
अपनी परेशानी की होने न दी  कभी आहट ...
और ऊपर से हमारी परेशानी को भी आपने गले लगाया ...
दुखो और मुस्किलो को मुझसे दूर भगाया ...

कैसा होगा भगवान आपको देख कर ही समझ आया

उन रातों की  बातों  की है अब यादें  ... सबसे मीठी यादें  ...















Tuesday, December 25, 2012

बस चल रहा हु

आजकल मैं खुद से ही लड़ रहा हु    ...
क्या सॊच  रहा हु ...और न जाने क्या कर रहा हु  ..
चल रहा हु ...बस चल रहा हु ...

सवाल ही सवाल है ...
सवालों में ही जवाब है ...
जवाब भी कुछ लाजवाब है ...
बस इस सवाल जवाब की पहेली में खोद को झोक के ...
चल  रहा हु ...बस चल रहा हु ...

सब का अच्छा  रहू या खुद से सच्चा रहू ...
या जैसा हु वैसा ही रहु ...
इस अच्छाई  और सच्चाई में
खुद  को खो रहा हु ...खो रहा हु ...

क्या मेरा है और मैं किसका हु ...
वो मेरा है या मैं उसका हु ...
कौन किसका है और किसका कौन है ...
ऐसे सवालो में खोद को खो रहा हु  ...


आजकल मैं खुद से ही लड़ रहा हु    ...
क्या सॊच  रहा हु ...और न जाने क्या कर रहा हु  ..
चल रहा हु ...बस चल रहा हु ...



परिस्थितियों  के पेच  में ...
खुस को उलझा और असहाय पा  रहा हु ...
इन सवालों एक दलदल में बस खुद को डूबता पा  रहा हु ...


इस दलदल से खुद को कैसे निकालु 
यह एक नया सवाल फिर में अपने साथ ले आता हु ...


आजकल मैं खुद से ही लड़ रहा हु    ...
क्या सॊच  रहा हु ...और न जाने क्या कर रहा हु  ..
चल रहा हु ...बस चल रहा हु ...


Friday, November 11, 2011

Chalta hu...

माना लब पर हसी लेकर चलता हु ...
                     पर कुछ दर्द तोह आज भी इस दिल में लेकर बैठा हु...
नहीं कहता मैं अब की उसको चाहता हु ...
                      पर उसको पाने की चाहत कभी छोड़ भी नहीं पता हु...
इस चाहत को दिल में छुपा के चलता हु...
                       लब पर हसी लेकर चलता हु...




दिल के किसी कोने में मेरे वो अब भी रहती है...
          जितना भी भूलना चाहू पर वो दिल-न- शीन अपने होने का एहसान देती है...
उस एहसास हो सम्हाल के चलता हु...
                 लब पर हसी लेकर चलता हु ...








Sid...Luv U...
Forever...

Wednesday, July 27, 2011


Tanhaiyo mein toh ab jeene ke aadat hai...
Bheed mein darr lagta....

Dur hai wo humse toh aacha hai...
Pass aati hai toh darr lagta hai...


Darr lagta hai ki kahi phir dil na lag jae...
Kahi phr dillagi na ho jae...
Uski aakho se ...uski muskaan se ...
Usse kahi phr se pyaar na jae...


Tanhaiyo mein toh ab jeene ke aadat hai...
Bheed mein darr lagta..

Sunday, October 24, 2010


पल  भर  में  यह  क्या  हो  गया ... ज़मीन  छीन   गयी  आसमान  खो  गया ... इन  फिजा  में  से  जाने  क्या  खो  गया ... बदरंग   हुआ  आसमान  ...रुक  गयी  नदिया ...न  जाने  मेरा  ऐसा  क्या  खो  गया ... उम्मीद  थी  की  वो   कभी  हमारी  अपनी  हो  जाएंगी  .. पर  यह  यकीन  न  था  की  इस  तरह  हमको  पराया  कर  के  चली  जाएगी ..